पूर्वी चम्पारण बिहार (PURVI CHAMPARAN BIHAR)
पूर्वी चम्पारण बिहार राज्य का एक जिला है। यह जिला बिहार के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और नेपाल की सीमा से भी लगा हुआ है। इसका मुख्यालय जिला का है मोतिहारी शहर है। पूर्वी चम्पारण जिले में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जिनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और बौद्ध शामिल हैं।
इस जिले में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें से कुछ हैं: सोनबरसा गाँव, केकड़ा वन्य जीव अभयारण्य, अरेराज वन्य जीव अभयारण्य, बालुही बाजार, मुखरियां थाना, मोतिहारी मेला आदि।
पूर्वी चम्पारण जिला खेती के लिए भी जाना जाता है और यहाँ पर चावल, गेहूँ, धान और मक्का जैसी फसलें उत्पादित की जाती हैं। इसके अलावा, शहरी क्षेत्र में व्यापार और उद्योग की भी व्यवस्था है।
पूर्वी चम्पारण जिला बिहार के गंगा नदी के उपत्रिवेश में स्थित है। इस जिले में विभिन्न संस्कृति और त्यौहारों का अनुभव किया जा सकता है। होली, दिवाली, छठ पूजा, रक्षाबंधन और ईद उल-फ़ित्र जैसे त्यौहार यहाँ मनाए जाते हैं।
इस जिले में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें बिहारी, हिंदी, उर्दू और अंगिका शामिल हैं।
जिले के अन्य प्रमुख शहरों में से कुछ हैं: रौनी, रुपैडीहा, भगवानपुर, जहानाबाद, जमुई, बैंसगाँव, सुपौल, खड़ग वन, मधुबनी, दरभंगा आदि।
इस जिले में निकटवर्ती हवाई अड्डा मोतिहारी अड्डा है, जिससे लगभग सभी महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ा जा सकता है।
समाज के विभिन्न वर्गों में से लोग यहाँ रहते हैं, जिनमें शेतकरी, उद्योगपति, कार्यकर्ता, व्यापारी और सेवा वर्ग शामिल हैं।
पूर्वी चम्पारण जिला अपनी धरोहर, परंपराओं और प्राचीन इतिहास के लिए भी मशहूर है। यहाँ पर बहुत सारी प्राचीन मंदिर, गुम्बद और समाधियों के अवशेष मौजूद हैं।
श्रीकृष्ण मंदिर, थावन मंदिर, बाबुघाट मंदिर, जगदंबा मंदिर, चांदी मंदिर, स्थानक विद्यापति मंदिर, महावीर मंदिर, बनवासी मंदिर, शिवलींग गुफा, महाबोधि मंदिर आदि यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
इस जिले में कुछ प्राचीन शहर भी हैं जैसे कि राजगीर, बौद्धगया और नालंदा जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान हैं।
पूर्वी चम्पारण जिला अपनी खेती और उत्पादन के लिए भी मशहूर है। यहाँ पर धान, गेंहूँ, दलहनी आदि फसलें उगाई जाती हैं। इस जिले में चीनी मिलें, सेमेंट फैक्ट्रियां, टाइल फैक्ट्रियां आदि कई उद्योग भी मौजूद हैं।
इस जिले में साहित्य, कला और संस्कृति को भी महत्व दिया जाता है। यहाँ पर कई लोक गाथाएँ, नृत्य
Comments
Post a Comment